एकलव्य आदर्श विद्यालय का कांति नाग और विधायक नाग ने किया निरीक्षण :-

पखांजूर से बिप्लब कुण्डू-4.7.22

एकलव्य आदर्श विद्यालय का कांति नाग और विधायक नाग ने किया निरीक्षण :-

बच्चो को हो रही असुविधाओं पर कांति नाग ने संबंधित लोगों को लगाई फटकार

कांति नाग ने दी बच्चो को एकलव्य की प्रेरणा तो वही विधायक ने साझा किए विवेकानंद के विचार

पखांजूर–
आज अंतागढ़ विधायक अनूप नाग और राज्य योजना आयोग की सदस्य एवं एकलव्य शिक्षक कर्मचारी कल्याण संघ की प्रांतीय संरक्षक कांति नाग के द्वारा एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय अंतागढ़ का निरीक्षण कर बच्चो के साथ संवाद किया गया बतादे यह कांति नाग का पहला दौरा है इसके बाद वह पूरे प्रदेश का दौरा करने वाली है ।

विधायक नाग और कांति नाग ने हॉस्टल, किचन, शाला भवन के सभी कक्षों समेत पूरे विद्यालय परिसर का अवलोकन एवं निरीक्षण कर बच्चों से उनके सुविधा एवं असुविधाओं की जानकारी प्राप्त की जहां नाग दंपत्ति ने विद्यालय परिसर में कई खामियों पर ध्यान दिया जिसके पश्चात उन्होंने तत्काल जिले के आयुक्त आदिवासी विकास शाखा को फोन लगाकर खामियों के बारे में बताते हुए तत्काल उन्हे दूर करने के निर्देश दिए ।

निरीक्षण के दौरान नाग दंपत्ति बच्चो से चर्चा करते हुए शिक्षा संबंधी जानकारी प्राप्त करते हुए नई शिक्षा नीति सहित अन्य शैक्षिक पहलुओं पर बात की। बच्चे अपने बीच में विधायक अनूप नाग और योजना आयोग की सदस्य कांति नाग को पाकर अति उत्साहित दिखे ।

मौके पर कई बच्चों ने विधायक नाग और कांति नाग को कई असुविधाओं के बारे में सूचित किया जिसे बच्चो द्वारा ठीक कराने के लिए गुहार लगाई । नाग दंपत्ति ने बच्चो को उनकी असुविधाओं को शीघ्र ठीक कराने की बात कही । दोनों ने आश्वासन देते हुए कहा कि विद्यालय में बैठने से लेकर अन्य जो भी परेशानी विद्यार्थियों को आ रही है उन सभी को दूर किया जाएगा ।

एकलव्य की कहानी से कांति नाग ने बच्चो को दी प्रेरणा

कांति नाग बच्चो को संबोधित करते हुए कहा की महाभारत में द्रोणाचार्य अर्जुन को धनुर्विद्या में सर्वश्रेष्ठ बनाना चाहते थे । इस वजह से गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य को ज्ञान देने से मना कर दिया था। इसके बाद एकलव्य ने द्रोणाचार्य की मूर्ति बनाई और उस मूर्ति को गुरु मान कर धनुर्विद्या का अभ्यास करने लगा। लगातार अभ्यास करने से वह भी धनुर्विद्या सीख गया। उन्होंने आगे बताया की एक दिन पांडव और कौरव राजकुमार गुरु द्रोणाचार्य के साथ शिकार के लिए पहुंचे। राजकुमारों का कुत्ता एकलव्य के आश्रम में जा पहुंचा और भौंकने लगा। कुत्ते के भौंकने से एकलव्य को अभ्यास करने में परेशानी हो रही थी । तब उसने बाणों से कुत्ते का मुंह बंद कर दिया। एकलव्य ने इतनी कुशलता से बाण चलाए थे कि कुत्ते को बाणों से किसी प्रकार की चोट नहीं लगी ।

जब कुत्ता को गुरु द्रोणाचार्य ने देखा तो वे धनुर्विद्या का ये कौशल देखकर दंग रह गए। तब बाण चलाने वाले की खोज करते हुए वे एकलव्य के पास पहुंच गए। गुरु द्रोणाचार्य को लगा कि एकलव्य अर्जुन से श्रेष्ठ बन सकता है। तब उन्होंने गुरु दक्षिणा में उसका अंगूठा मांग लिया था और एकलव्य ने अपना अंगूठा काटकर गुरु को दे भी दिया। अंगूठे के बिना भी एकलव्य धनुर्विद्या में दक्ष हो गया था ।

यह कहानी सुन 6वी से लेकर 12 तक के बच्चे भावुक हो उठे और 12 के बच्चों ने श्रीमती नाग को भरोसा दिया की वे भी अपार लगन एवं परिश्रम से अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे जिसके पश्चात कांति नाग ने बच्चो से कहा की हम एकलव्य से प्रेरणा लेकर सिर्फ हमारे लक्ष्य पर ध्यान देना है ताकि हम जीवन में जो बनना चाहते है वह बन जाए, यदि हमारे अंदर आत्मविश्वास है तो हम किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकते है ।

स्वामी विवेकानंद को किया याद करते हुए विधायक नाग ने बच्चो को दिया कामयाबी का मंत्र

विधायक नाग ने बच्चो को संबोधित करते हुए कहा की आज स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि है उन्होंने बताया की विवेकानंद जी का बहुत लोकप्रिय कथन है ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य को न पा लो’। हममें से ज्यादातर लोगों ने इसे कभी न कभी जरूर पढ़ा या सुना होगा। इस बात से प्रेरणा लेने के बजाए हम एक या दो बार असफलता मिलने पर प्रयास छोड़कर ही बैठ जाते हैं। हमारे दिमाग में यह इस तरह बैठ जाता है कि हम उस बारे में सोचना भी छोड़ देते हैं। इसके विपरीत अगर हम अपनी कोशिशें जारी रखें तो हमें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है।

उन्होंने बच्चो को इस कहानी का सार भी बताया उन्होंने कहा हममें से कई लोगों के साथ अक्सर ऐसा होता है। हम प्रयास करना ही छोड़ देते हैं। कोई रुकावट नहीं होने के बावजूद हमें ऐसा लगता है कि अवरोध है, जिसे पार नहीं किया जा सकता। यकीन मानिए, अगर किसी चीज को पाने के लिए हम ईमानदारी से लगातार प्रयास जारी रखते हैं, तो वह हमें जरूर मिलती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button